परम श्रद्धेय सतचंडी महायज्ञ का आयोजन एक ईश्वरीय प्रेरणा है *स्वामी प्रेम तीर्थ

 

ऋतिक कुमार( हरिद्वार )उत्तराखंड

जनपद हरिद्वार :- परम श्रद्धेय सतचंडी महायज्ञ का आयोजन एक ईश्वरीय प्रेरणा है जिसका उद्देश्य है इस जलते हुए विश्व को कैसे तरंग दिया जाए हो सकता है कथा पौराणिक हो परंतु आज के समय में भी इसकी प्रासंगिकता है जब-जब देश धर्म मानवता पर खतरे आते हैं मानव जब अपने कर्मों से छूट हो जाता है तब तब मानव को अभय बनाने के लिए हमें देवी की आराधना करनी पड़ती है देवी का आराधना इसलिए क्योंकि वह मन है और एक मन ही अपने बच्चों के लिए उसके सुधार के लिए यह जानती है कि हमें क्या करना चाहिए उसकी कितनी जोर से थप्पड़ लगानी चाहिए मां की आराधना हमें उन सारी शक्तियों से विभूषित करती है जिससे कि हम बडी शक्तियों से अपनी रचना सिर्फ रक्षा कर सकें बरन बुरी शक्तियों को परास्त कर सकें उन बुरी शक्तियों की परास्त करने में हमें सात्विक और राजसिक उपाय का सहारा लेकर हमें यह सिद्ध करना है की एक बार अगर संकल्प हो जाए तो हम मां से शक्ति प्राप्त कर इस धरा धाम पर पुनः धर्म की स्थापना कर सकते हैं धर्म ही हमें रक्षा करता है इसीलिए हमें धर्म की रक्षा करनी होती है सच चंडी यज्ञ का मूल उद्देश्य है प्रकृति मां के सानिध्य में रहकर प्रति प्रकृति की दोहन उतनी ही करें जितने में हमारा और हमारे समाज का आरक्षण हो और प्रकृति की भी रक्षण हो मां चंडी की आराधना और कथा के लिए देवभूमि योग पीठ 18 अगस्त से लेकर 22 अगस्त तक यज्ञ एवं हवन का कार्यक्रम रखा गया है तथा 23 का भंडारा रखा गया इसमें संत एवं भक्त दोनों मां के कृपा को प्राप्त कर उनके प्रसाद को भी पाएंगे और समाज मां के प्रसाद से अनुग्रहित होकर फिर से एक सुदृढ़ समाज की स्थापना होगी

कथा का समय शाम 4:00 बजे से लेकर 7:00 रखा गया है जिसमें मां के चरित्र के साथ समसामयिक और विज्ञान के परिपेक्ष में ज्ञान का पक्ष रखा जाएगा ताकि इस जलते हुए विश्व में मानवता को त्राण मिल सके।

यज्ञ को संपन्न करने के लिए पंडित रंजन शास्त्री के नेतृत्व में मिथिला के विद्वान वैदिकों द्वारा हरिद्वार की इस ऋषियों की इस क्रीडा भूमि पर यज्ञ एवं देवी मां की लीला कथा के द्वारा ब्रह्म की प्राप्ति का उपाय बतलाया जाएगा का मतलब होता है कृष्ण की प्राप्ति जब कृष्ण समान तक मनी खोजने में द्वारिका के धरती से काफी दिन अलग हो गए तो द्वारका बासी ने मिलकर मां की आराधना की और ठीक जिस दिन पूर्णाहुति हुई उसी दिन कृष्ण प्रकट हुए और इससे सिद्ध हुआ कि मां की कृपा के बिना इश्वर का भी साक्षात्कार

नहीं होता। आइए हम सब माँ की आराधना सच्चे मन से करें। स्वामी प्रेम तीर्थ पीठाधीश्वर एवं अध्यक्षदेवभूमि योगपीठ आर्यनगर (गाजी वाली) श्याम पुर हरिद्वार

प्रधान यज्ञाचार्य –आचार्य पं० रंजन शास्त्री मिथिला

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