अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, प्रवचन शृंखला और आध्यात्मिक अनुष्ठानों का होगा आयोजन

 कृतिका (हरिद्वार) उत्तराखंड

हरिद्वार | हरिद्वार के गंगा तट स्थित बैरागी द्वीप पर अखिल विश्व गायत्री परिवार के शताब्दी महोत्सव के लिए बनाया जा रहा अस्थायी शताब्दी नगर आकार लेने लगा है। शांतिकुंज के तत्वावधान में होने वाला यह भव्य आयोजन जनवरी 2026 में हरिद्वार के उपनगरी राजा दक्ष की राजधानी कनखल क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश से हजारों गायत्री साधकों, विचारकों और विशिष्ट अतिथियों के पहुँचने की संभावना है।

शुक्रवार को अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या व श्रद्धेया शैलदीदी ने शताब्दी नगर के निर्माण स्थल का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माण में जुटी टीमों, इंजीनियरों और समन्वयकर्ताओं को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए समयबद्ध, गुणवत्ता-सम्पन्न एवं सुव्यवस्थित कार्य सुनिश्चित करनेे हेतु मार्गदर्शन दिया। इस दौरान श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि शताब्दी महोत्सव युग परिवर्तन की प्रेरणा का वैश्विक संदेश है। हम इसे एक आदर्श और अनुकरणीय स्वरूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि यह महोत्सव आध्यात्मिकता, मानवीय मूल्यों और सामाजिक जागरण की विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर है। सभी की समन्वित भागीदारी और निष्ठा से यह आयोजन अविस्मरणीय बनेगा।

यह महोत्सव माता भगवती देवी शर्मा के जन्म शताब्दी वर्ष, अखण्ड दीप के 100 वर्ष तथा युगदृष्टा पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की साधना के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। समारोह के दौरान पाँच दिनों तक विभिन्न रचनात्मक विषयों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होगा, जिसमें प्रख्यात विचारक, आध्यात्मिक संत, राजनेता और अनेक क्षेत्र विशेषज्ञ शामिल होंगे।

समारोह स्थल पर प्रवचन पंडाल, मीडिया सेंटर, आईटी सेंटर, कार्यकत्र्ता आवास और विभिन्न विभागों के लिए अस्थायी ढाँचों का निर्माण तेजी से चल रहा है। देश-विदेश में स्थापित पाँच हजार से अधिक प्रज्ञा संस्थानों और गायत्री परिवार के सक्रिय सदस्यों सहित समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को आमंत्रण भेजा जा रहा है। वहीं समारोह स्थल पर आध्यात्मिक ऊर्जा सुदृढ़ करने के लिए प्रतिदिन गायत्री महामंत्र साधना की जा रही है। यह साधना सूर्योदय से सूर्यास्त तक निरंतर चल रही है और आने वाली वसंत पंचमी तक अनवरत जारी रहेगी। माना जाता है कि निरंतर मंत्रजप से स्थल की पवित्रता बढ़ती है और कार्यक्रम सफल होता है।

मंत्र की ध्वनि और स्पंदन से मानसिक शांति मिलती है। गायत्री महामंत्र के निरंतर जप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो स्थान को पवित्र बनाता है और आध्यात्मिक प्रगति में सहायक होता है।

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