कृतिका (हरिद्वार) उत्तराखंड
आईआईटी रुड़की, उत्तराखण्ड| आईआईटी रुड़की के प्रबन्ध अध्ययन विभाग के हैप्पीनेस–साइंस उत्कृष्टता केंद्र ने रेखी फ़ाउंडेशन फ़ॉर हैपीनैस, यू.एस.ए. के सहयोग से हॉप 2025 – वैश्विक सम्मेलन (वैश्विक सुख और मानव–समृद्धि विज्ञान सम्मेलन) का सफल आयोजन आईआईटी रुड़की मुख्य परिसर में किया।
तीन दिवसीय इस सम्मेलन में देश के अग्रणी शिक्षण संस्थानों से विद्वानों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें बिट्स पिलानी (के.के. बिड़ला गोवा परिसर), आईआईटी मद्रास, आई.जी.डी.टी.यू.डब्ल्यू. दिल्ली, तथा आईआईएम विशाखापट्टनम जैसे संस्थान शामिल रहे। इससे सम्मेलन का बहु–विषयक और बहु–संस्थानिक स्वरूप उजागर हुआ।
सम्मेलन की शुरुआत प्रतिभागियों के पंजीकरण एवं स्वागत परिचय (हाई टी) से हुई।
एम.ए.सी. सभागार में आयोजित उद्घाटन सत्र में डॉ. दीपम सेठ, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड; तथा प्रो. रजत अग्रवाल, प्रमुख, प्रबन्ध अध्ययन विभाग, आईआईटी रुड़की उपस्थित रहे।
इसके बाद “सुख को प्राथमिकता: क्यों कल्याण आधुनिक जीवन का मूल होना चाहिए” विषय पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा आयोजित हुई, जिसमें सार्वजनिक नीति, शिक्षा और संगठनात्मक संस्कृति में सुख एवं मानसिक कल्याण को केंद्र में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
उद्घाटन दिवस का समापन प्रबन्ध अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित नेटवर्किंग रात्रिभोज से हुआ।
दूसरे दिन सम्मेलन में समानांतर शोध-प्रस्तुति सत्र तथा सुख–नवाचार प्रतियोगिता (हैप्पीनेस हैकैथॉन) का आयोजन हुआ।
शोधकर्ताओं ने डिजिटल कल्याण, भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ, नेतृत्व और धैर्य, शहरी सुख, लिंग आधारित कल्याण, उपभोक्ता सुख, न्यूरो–संज्ञानात्मक दृष्टिकोण और कार्यस्थल मानसिक स्वास्थ्य जैसी महत्त्वपूर्ण विषय-वस्तुओं पर अपने शोध प्रस्तुत किए।
इन सत्रों ने इस तथ्य को पुष्ट किया कि हैप्पीनेस–साइंस समाज के विभिन्न क्षेत्रों में तेज़ी से प्रासंगिक हो रहा है और कल्याण–केंद्रित तंत्र विकसित करने में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दोपहर में प्रतिनिधियों ने ऋषिकेश की सांस्कृतिक एवं ध्यान–अनुभूति आधारित यात्रा में भाग लिया।
अंतिम दिन अतिरिक्त शोध–प्रस्तुतियों, हार्टफ़ुलनेस कार्यशाला (अनुभवात्मक सीख को प्रोत्साहित करने हेतु), तथा समापन सत्र का आयोजन हुआ।
प्रतिभागियों ने तीन दिनों की सीख और उन अंतर्दृष्टियों पर सामूहिक रूप से चिंतन किया कि किस प्रकार शैक्षणिक अनुसंधान समावेशी, दृढ़ और समृद्ध समाजों के निर्माण में योगदान दे सकता है।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत पूर्व निर्धारित संस्थागत कार्यों के कारण सम्मेलन में सम्मिलित नहीं हो सके, परंतु उन्होंने आयोजकों एवं प्रतिभागियों को अपना संदेश भेजा:
“हॉप 2025, मानव–समृद्धि और सामाजिक कल्याण का समर्थन करने वाले अनुसंधान को आगे बढ़ाने की आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करता है। भारत की विकास–दृष्टि में सुख, भावनात्मक धैर्य और मानसिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय प्रगति के महत्त्वपूर्ण मानकों के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। यह सम्मेलन विकसित भारत की आकांक्षाओं तथा वैश्विक सतत् विकास लक्ष्यों में संस्थान के सार्थक योगदान को और मज़बूत बनाता है।”
कार्यक्रम की सामाजिक प्रासंगिकता पर बोलते हुए डॉ. दीपम सेठ, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड ने कहा कि
“आज पुलिसिंग केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं है, बल्कि नागरिकों को सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण प्रदान करना भी इसकी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है। डिजिटल अपराध, महिलाओं और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा, चित्त–स्थिरता, भावनात्मक संतुलन, धैर्य तथा उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे विषय आधुनिक पुलिसिंग में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।”
हॉप 2025 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति, डिजिटल भारत के सुरक्षित–प्रौद्योगिकी उद्देश्यों तथा सुशासन के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ के रूप में कल्याण–केन्द्रित दृष्टिकोण के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।
यह सम्मेलन सीधे तौर पर वैश्विक सतत् विकास लक्ष्यों —लक्ष्य 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), लक्ष्य 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा), लक्ष्य 5 (लैंगिक समानता), लक्ष्य 8 (उचित कार्य और आर्थिक वृद्धि), लक्ष्य 11 (सतत् शहर और समुदाय), लक्ष्य 16 (शान्ति, न्याय और मज़बूत संस्थान) और लक्ष्य 17 (लक्ष्यों हेतु साझेदारी) — में भी योगदान देता है।
मजबूत शैक्षणिक सहभागिता, विविध विषय–प्रवाहों और गहरी सामाजिक प्रासंगिकता के साथ,हॉप 2025 ने आईआईटी रुड़की की स्थिति को सुख–विज्ञान और मानव–विकास अनुसंधान के राष्ट्रीय अग्रणी संस्थान के रूप में और सुदृढ़ किया है।
आईआईटी रुड़की का सुख–विज्ञान उत्कृष्टता केंद्र शिक्षा, नीति, सामुदायिक कल्याण और संगठनात्मक प्रक्रियाओं में वैज्ञानिक अंतर्दृष्टियों के समावेश हेतु रूपरेखाएँ विकसित करने पर सतत् कार्य कर रहा है, जिससे भारत के ज्ञान–आधारित विकास परिदृश्य को और गति मिल रही है।